अंत क्या होगा
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कविता जन्म लेती है तब
जब पेड़ों को काटा जाता है
बहुओं को जलाया जाता है
पूछा जाता है
दिनचर्या क्या था
तो बोलती है
मेरे साथ हुआ विश्वासघात
और अंधेरा क्या है फिर
अपनों से किया उम्मीद
तो उजाला किधर है
एक हमसफ़र के मिलने पर
वो तुम्हें कैसे पता
पवित्र प्रेम के बंधन से
तो सुखद अंत क्या होगा
उसके कंधे पर जीवन की आखिरी सांस लेना
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