नाप आया हूँ मीलों की लम्बाई को, रास्ते का हर इंसान पराया नहीं होता ! नाकामयाबी को देख मुँह मोड़ लेते हैं सभी, गर कामयाबी के पीछे का दर्द बताया नहीं होता ! रात तारे निकलते हैं दूसरों के अरमान लिए, चाँद में कुछ बात है, नहीं तो खुदा ने उसे बनाया नहीं होता ! हर शाम खुद को क्यूँ डूबोते हो पैमाने में, काश इश्क को जवानी से मिलाया नहीं होता ! यूँ तो ख़ैरियत तूने कभी पूछी ही नहीं, बाद मेरी मैयत में आँसू बहाया नहीं होता ! चूम लेना आकर कभी तू मेरे कब्र को, जो रब ने तेरा मुलाज़िम बनाया नहीं होता ! :- Vipin Jha
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