पेटक खातिर सदिखन बाहर
सरकारक नीतिक शिकारल
शहरक कारखाना लेल एकटा मजूर
मुदा हमरा घर'क खाम छलैथ बाबूजी
टिकुली सेनुर गहना जेवर
बरसाइत तीज मधुश्रावणीक तेवर
माए माथाक ताज छलैथ बाबूजी
Father Best Poem ( बाबूजी )
हुनकर कोरा छल इन्द्रासन
कखनो दुलार कखनो फटकार
सन्ना भात सन छल हुनकर व्यवहार
सगर गाम मे
नहि छल हुनका सं किनको द्वेष
मुसकिक पहिचान छलैथ बाबूजी
दीया-बाती छठि पराती
दुर्गा-पूजा आकि शिवराति
हुनका अबिते
हमरा लेल होइ छल सभटा पावनि
निसंकोच भ' सभटा गप्प हम कहियैं
संगी आर जिनगीक शान छलैथ बाबूजी
:- Vipin Jha
Monday, October 16, 2023
बाबूजी
बाबूजी कविता
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