Vipin Kumar jha ( Story, Shayari & Poems ) 7532871208

अक्षरों का कारीगर हूँ, शब्दों को जोड़-जोड़ कर वाक्य बनाता हूँ !

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Monday, October 16, 2023

बाबूजी

 
पेटक खातिर सदिखन बाहर
सरकारक नीतिक शिकारल
शहरक कारखाना लेल एकटा मजूर
मुदा हमरा घर'क खाम छलैथ बाबूजी

टिकुली सेनुर गहना जेवर
बरसाइत तीज मधुश्रावणीक तेवर
माए माथाक ताज छलैथ बाबूजी
 

Father Best Poem ( बाबूजी )

                      
हुनकर कोरा छल इन्द्रासन
कखनो दुलार कखनो फटकार
सन्ना भात सन छल हुनकर व्यवहार
सगर गाम मे 
नहि छल हुनका सं किनको द्वेष
मुसकिक पहिचान छलैथ बाबूजी

दीया-बाती छठि पराती
दुर्गा-पूजा आकि शिवराति
हुनका अबिते
हमरा लेल होइ छल सभटा पावनि
निसंकोच भ' सभटा गप्प हम कहियैं
संगी आर जिनगीक शान छलैथ बाबूजी


:- Vipin Jha


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