Vipin Kumar jha ( Story, Shayari & Poems ) 7532871208

अक्षरों का कारीगर हूँ, शब्दों को जोड़-जोड़ कर वाक्य बनाता हूँ !

Ads Here

Wednesday, September 2, 2020

मिट्टी का पुतला

मिट्टी का पुतला हूँ

एक दिन मिट्टी में मिल जाऊँगा

तेरे इश्क से दूर हूँ

इश्क करते-करते हवा हो जाऊँगा

फिर महसूस करोगी

मुझे वादियों में नदियों में गाँवों में

और एक दिन आकर

लिपट जाओगी तुम मेरी बाँहो में

तब मैं-मैं नहीं रहूँगा

बैरागी बन फैलाऊँगा हवाएँ इश्क

मिटाऊँगा नफरतें

पिरोऊँगा शांत संवेदनशील समाज

बोऊँगा प्रेम बीज

सिखाऊँगा इंसान को इंसानी मोहब्बत

तब तुम देखोगी

मंदिर में पढ़ते कुरान मस्जिद में राम

हँसता हुआ किसान

तिरँगे को सीने लपेटे कश्मीरी नौजवान

तब तुम्हारे नीर

सीचेंगे मिट्टी को हमारे गुलाबी इश्क से

और कब्र से देखूँगा

इश्क की बारिश में भींगते दुनियाँ को

फिर किसी चौराहें पर

प्रेम का प्रतीक बना खड़ा करेंगे मुझे!

 :- Vipin jha


No comments:

Post a Comment