Vipin Kumar jha ( Story, Shayari & Poems ) 7532871208

अक्षरों का कारीगर हूँ, शब्दों को जोड़-जोड़ कर वाक्य बनाता हूँ !

Ads Here

Sunday, April 9, 2023

प्रेम विवाह में तलाक की दर ज्याद क्यों ?

प्रेम अनंत काल से पवित्र माना जाता है, और प्रेम विवाह सुखी जीवन का मूलमंत्र, ऐसा नहीं है सुसंगत विवाह में प्रेम नहीं होता है, सुसंगत विवाह में मनुष्य के मन में एक इक्षा सदैव रहता है जो कि उसके मन में अनंत काल तक खटकती है, किंतु प्रेम विवाह में मनुष्य को अपने अनुसार पति/पत्नी  चुनने का मौका रहता है, जिसके साथ वो खुशी के संग अपने पूरे जीवन को व्यतीत कर सके!!

किंतु आज के दौर में जैसे-जैसे प्रेम विवाह का दर बढ़ रहा है उसी तेजी से तलाक का दर भी बढ़ रहा है, वैसे भारत में केरल शिक्षा दर में प्रथम स्थान पर है किंतु तलाक लेने के मामले में भी केरल ने ही  सर्वप्रथम स्थान पर कब्जा कर रखा है, जिसका मूल कारण भी शिक्षा है, जब बच्चे उच्चस्तरीय शिक्षा प्राप्त कर लेते हैं तो गार्जियन को लगता है अब बच्चे समझदार हो चुके हैं, क्योंकि उनके पास जीवनयापन के लिए एक परमानेंट नौकरी है, और उनके चुने हुये साथी के साथ विवाह करवा देते हैं, यूपी-बिहार में अभी भी प्रेम विवाह में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है प्रेमियों को, किंतु अब बच्चें कही भाग ना जाये या आत्महत्या ना कर ले उस विवशता में बच्चों के फैसले को स्वीकार कर लेते हैं गार्जियन, उनको लगता हैं बच्चे खुश रहेंगे तो हम खुश रहेंगे, पर गार्जियन को इस बात का तनिक भनक नहीं होता इस विवाह से पहले उनके बच्चों ने काफी शर्त पहले ही मनवा लिया है एक-दूसरे से!!




विवाह दो आत्माओं का मेल है ऐसा कहा जाता है किंतु ना तो ये त्रेता युग है ना ही कोई यहाँ पर शिव, फिर भी प्रेम अभी भी अपने मर्यादा और संस्कार के वजह से जीवित है, नहीं तो  87% प्रेम तो वासनाओं से घिरा है और जिसका आंखों देखा हाल आपको आपके आस-पास ही देखने को मिलेगा, और ना जाने इस चक्कर में लाखों लड़कियों और हजारों लड़कों ने अपने जीवन को मृत्यु में तब्दील कर लिया है इसका एक अहम विषय स्वत्रंत रहना भी है!!

अब आते हैं मुद्दे पर प्रेम में पड़े लड़के और लड़कियाँ इतना केयर एक दूसरे को करते हैं मानो प्रेम का मतलब सिर्फ ख़ुशियाँ ही हो,  लड़के हर बात पर हाँ भरने लगते हैं मतलब लड़की को पाने के लिए और अगर उसके संग भविष्य देख रहे हैं तो, नहीं बुझे मने विवाह करने लिए लड़की को इतना भाव देते हैं जिससे लड़की को भी लगता है सच में जीवन इसके संग बिताने के अलावा और कोई दूसरा लड़का हो ही नहीं सकता, उधर लड़की सब लड़को को इतना केयर, बातों में सहमति, घर-परिवार के संग रिश्ता, मतलब लगता है जैसे फ़िल्म सीरियल में होता है कुछ भी हो जाये पर परिवार के संग रहूंगी और कुछ इमोशनल लड़के उनके इन सब केयर को देख जुट जाते हैं परिवार को मनाने में, आग दोनों तरफ लग जाती है शादी की, फिर सैकडों योजन का कष्ट दोनों उठा कर मना ही लेते हैं अपने परिवार को, जहां नहीं मानते हैं परिवार वाले वहाँ हम जैसे लफंडर दोस्त है ना पेपर पर सिग्नेचर करने के लिए!!

विवाह तो जैसे-तैसे हो जाता है किंतु प्रेम का जूस तब निकलता है जब घर के छोटे-छोटे झगड़े, आपसी मन-मुटाव और सोशल मीडिया पर समय व्यतीत, मतलब जो काम पहले बढ़िया लग रहा था अब उसी काम के कारण दोनों के रिश्तों में दरार भी शुरू होने लगता है, किंतु इसका खामियाजा यहाँ भी परिवार ही भरता है, अगर लड़की/लड़का समझदार है तो वो समाज के बीच एक उदाहरण हो जाते हैं किंतु जहाँ लड़का अपना सब कुछ लड़की के प्रति समर्पित कर दे पर लड़की को सिर्फ अपने बच्चें और पति संग रहने का फैसला हो, या अपने मायके वालों को ज्यादा तबज्जो देना, ससुराल वालों के प्रति सिर्फ दिखावा, उसी का उल्टा लड़का करने लगे तब वहाँ से शुरू होती है दरारें और फिर लड़की के बार-बार कहने पर अगर लड़का उसके हिसाब से ना चले तो तानों से शुरू लड़ाई, गली-गलौज फिर थाना-पुलिस होते कोर्ट वाली आर्केस्ट्रा तक पहुँच जाती है, क्योंकि गलती लड़के का है, उसने पहले इतने सपने दिखा दिये जो लड़की को लगा अब उसके साथ गलत हो रहा है, और अपने दोस्त या परिवार के सहारे वो उसी व्यक्ति से दूर होना चाहती है जिसके संग उसने बुन रखे थे मृत्युकाल तक के सपने!!

गलतियाँ कभी एक तरफा नहीं होता है, यहाँ लड़कियाँ भी गलत होती है, शुरू में अपने व्यवहार और प्रेम से लड़को का दिल जीतती है, हर काम के लिए संग खड़ी रहती है, चाहे वो एकता हो या जोड़ना, मतलब ऐसा रूप दिखाती है मानों कोई देवी हो, अगर वो बाहर वालों के लिए इतना कर रही है तो घरवालों के संग कितना प्रेम करेंगी, और लड़कियाँ भी वो हर काम करती है जिससे लगता है समाज में हम एक उदाहरण बनेंगे किंतु कुछ समय उपरांत उसका उल्टा होता है जो एक-दूसरे के मनमुटाव का अहम कारण बनता है, वैसे प्रेम में पैसों का भी एक अहम किरदार है पर जो समझदार जोड़े होते हैं वो उसमें भी निर्वहन करते हैं वो कभी भी पैसों के वजह से तलाक को अहम कारण नहीं बनने देते हैं, इन्ही छोटी-छोटी बातों को दोनों विवाह उपरांत संभाल नहीं पाते हैं जो दो परिवारों को दुश्मन भी बनाती है और प्रेम के प्रति लोंगो को घृणित करती है, अगर हम थोड़ा समझदार हो जाये और परिस्थितियों को खुद समझे देखे कहाँ-कहाँ हम गलत जा रहे हैं, पहले हमने ऐसा क्या किया जो अब चूक हो रही है तो प्रेम विवाह में तलाक दर की संख्या को हम घटाने में काफी कामयाब रहेंगे और प्रेम का जो ओहदा है समाज में उसमें चार चांद भी लगायेंगे!!

ज्यादा लिखना मतलब बकलोली करने जैसा लगेगा, हमें हर रिश्ते में कुछ ना कुछ कमी मिलेगा इसलिए रिश्तों से भागने की वजह हमें उसी रिश्ते को अगर ठीक करने से खुशी मिले तो जरूर कोशिश करे,अरे सिंपल सी बात है भाई अगर बाहर लड़ाई-झगड़ा, मारा-पीट हो जाता है तो उनसे फिर से हम जुड़ जाते हैं, फिर अपने परिवार के लोंगो के संग चंद शब्द से आखिर दूरी क्यों? मिलबैठकर और बातें समझकर ही हम किसी भी रिश्ते को एक मजबूती से स्थापित कर सकते हैं , नहीं तो रिश्तों का शतरंज युगों से चला आ रहा है चाहे वो पांडव-कौरवों का हो या राम-कैकेय माते का, क्योंकि हर रिश्ते में कुछ ना कुछ खोना पड़ता है, पर अगर हम उसको जोड़कर रखने में सक्षम है तो फिर उसके बाद कि खुशी आपको शायद एक ऐसा एहसास जरूर करवा देगी जो  जोड़ना ही प्रेम का पहला और आखिरी पड़ाव है!!

" अकेले रहने में कोई गुनाह नहीं है
किंतु हम कभी अकेले रह नहीं पाते हैं
रोटी भी अकेले नहीं फूलती है
उसको भी आग-चूल्हे और हथेली की जरूरत है"

   Vipin Jha

No comments:

Post a Comment